Kishore Biyani: Future Group के मुश्किल समय में मॉल की successful बिक्री – 476 करोड़ रुपये की one-time settlement

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कर्ज संकट में फंसे Kishore Biyani को मजबूरी में मुंबई के प्रतिष्ठित सोबो सेंट्रल मॉल को बेचना पड़ा है। फ्यूचर ग्रुप ने कर्ज के बोझ को कम करने के लिए 476 करोड़ रुपये के वन-टाइम सेटलमेंट के तहत मॉल बेचने का फैसला किया।

हाइलाइट्स

  • फ्यूचर ग्रुप के चेयरमैन Kishore Biyani को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है।
  • फ्यूचर ग्रुप ने कर्ज संकट से उबरने के लिए 476 करोड़ रुपये का एकमुश्त निपटान किया है।
  • Kishore Biyani ने अपने मॉल की बिक्री कर बकाया भुगतान की आवश्यकता को पूरा किया है।

फ्यूचर ग्रुप के चेयरमैन Kishore Biyani की आर्थिक स्थिति वर्तमान में गंभीर है। कभी करोड़ों की संपत्ति के मालिक रहे बियानी को अब अपना मुंबई का प्रमुख मॉल भी बेचना पड़ा है। कोरोना महामारी के दौरान से ही बियानी को भारी संकट का सामना करना पड़ा है। अब कर्ज के चलते उन्हें अपना मॉल बेचकर बकाया भुगतान करना पड़ा है। फ्यूचर ग्रुप ने 476 करोड़ रुपये का एकमुश्त निपटारा किया है। कंपनी ने बंसी मॉल मैनेजमेंट कंपनी के लेंडर्स को 571 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जो उनके बकाए का 83% है। K रहेजा कॉर्प ने इस डील को सोमवार को पूरा किया, जिसमें स्टांप ड्यूटी का भुगतान 28.56 करोड़ रुपये किया गया।

Kishore Biyani ने कर्ज के समाधान के लिए सोबो मॉल को K. रहेजा कॉर्प को बेच दिया है। फ्यूचर ग्रुप के प्रमोटर बियानी ने 571 करोड़ रुपये के बकाए का एकमुश्त निपटारा किया है, जिसमें 476 करोड़ रुपये का भुगतान शामिल है। लेनदारों को उनकी कुल राशि का 83% वापस मिल गया है।

Kishore Biyani: मुंबई का प्रतिष्ठित मॉल हाथ से छूटा

रिपोर्ट के अनुसार, यह मॉल मुंबई का सबसे पुराना मॉल है और इसका स्वामित्व पहले बियानी परिवार के पास था। अब K रहेजा कॉर्प ने इसे खरीद लिया है। यह एसओबीओ सेंट्रल मॉल (SOBO Mall) है, जिसे पहले क्रॉसरोड्स के नाम से जाना जाता था। यह मॉल देश का पहला मॉल है, जो 1990 के दशक के अंत में दक्षिण मुंबई के हाजी अली क्षेत्र में खुला था। कोरोना महामारी के दौरान मॉल पूरी तरह से बंद हो गया था। कोविड-19 के बाद से अधिकतर दुकानों के बंद होने से मॉल को किराये पर देने के लिए कोई इच्छुक नहीं मिला।

इसके कारण मॉल की संचालन करने वाली कंपनी बंसी मॉल मैनेजमेंट पर 571 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया, जिसके चलते मॉल को बेचना पड़ा है। मॉल में अब भी 1.5 लाख वर्ग फुट क्षेत्र लीज पर देने के लिए उपलब्ध है।

Kishore Biyani: कर्ज के बोझ में फंसा मॉल

मुंबई और उसके आस-पास नए शॉपिंग मॉल्स के खुलने और कोरोना महामारी के प्रभाव से SOBO Central मॉल की स्थिति लगातार बिगड़ती गई। मॉल का अधिकतर रियल एस्टेट फ्यूचर ग्रुप की कंपनियों को लीज पर दिया गया था, जो वर्तमान में आर्थिक कठिनाइयों से गुजर रही हैं। कैनरा बैंक का फ्यूचर ग्रुप पर 131 करोड़ रुपये का बकाया है, जबकि पीएनबी के पास 90 करोड़ रुपये का बकाया है। पीएनबी और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का फ्यूचर ब्रांड्स पर कुल 350 करोड़ रुपये का बकाया है। बैंकों का फ्यूचर ग्रुप की विभिन्न कंपनियों पर कुल 33,000 करोड़ रुपये का बकाया है।

Kishore Biyani की आर्थिक मुश्किलें: कैसे हुआ उभार और गिरावट

Kishore Biyani का जन्म 9 अगस्त 1961 को मुंबई में एक कपड़ा व्यापारी के घर हुआ। उन्होंने पारिवारिक व्यवसाय में गहरी रुचि दिखाई और 1987 में कपड़ों के व्यवसाय को रेडीमेड कपड़ों की ओर मोड़ा। फ्यूचर ग्रुप ने बिग बाजार का पहला स्टोर 2001 में खोला। कंपनी ने तेजी से विस्तार करते हुए 2006 तक 56 स्टोर और 2008 तक 116 स्टोर बना लिए। हालांकि, 2008 की वैश्विक मंदी का कंपनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा, फिर भी कंपनी ने विकास की दिशा में कदम बढ़ाए।

2019 तक बिग बाजार ने कुल 295 स्टोर खोल दिए। बियानी ने भारतीय मध्य वर्ग को एक ही छत के नीचे संपूर्ण बाजार प्रदान कर उन्हें बड़ा सम्मान दिलाया। बिग बाजार को भारत का वॉलमार्ट भी कहा जाता है।

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